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2023-2024 यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) जलवायु सर्वेक्षण दुनिया भर की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में लोगों के जलवायु-संबंधी विचारों संबंधी गहन जानकारी प्रदान करता है, जिसमें भारत[1], यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात में 30,000 से अधिक प्रतिक्रियादाता शामिल हैं। 

मुख्य निष्कर्ष                                                                                       

·         भारतीय प्रतिक्रियादाता अपने देश के लिए जिन चुनौतियों को देखते हैं उनमें जलवायु और पर्यावरण संबंधी चिंताएँ शीर्ष पर हैं।

·         90% भारतीय प्रतिक्रियादाताओं को उचित क्लाइमेट ट्रांजिशन (जलवायु संक्रमण योजना) अमल में लाने की सरकार की क्षमता पर भरोसा है जो असमानताओं से भी निपटती है।

·         सर्वेक्षण में शामिल दो-तिहाई भारतीयों का मानना ​​है कि क्लाइमेट ट्रांजिशन (जलवायु संक्रमण योजना) से उनके दैनिक जीवन, भोजन और स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार होगा और देश में अधिक नौकरियाँ पैदा होंगी।

·         यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के अधिकांश प्रतिक्रियादाताओं का मानना ​​है कि उनके देशों को प्रभावित देशों को जलवायु परिवर्तन के लिए वित्तीय मुआवज़ा प्रदान करना चाहिए।

ये  नवीनतम वार्षिक जलवायु सर्वेक्षण के कुछ परिणाम हैं, जो अगस्त 2023 में किया गया था और आज यूरोपीय निवेश बैंक द्वारा प्रकाशित हुआ है। EIB यूरोपीय संघ की ऋण देने वाली संस्था है और जलवायु कार्रवाई परियोजनाओं के लिए दुनिया की सबसे बड़ी बहुपक्षीय ऋणदाता है। 1993 से, हम भारत के साथ साझेदारी कर रहे हैं, संवहनीय शहरी परिवहन और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करके देश की हरित महत्वाकांक्षाओं का समर्थन कर रहे हैं।

भारत में हाल के वर्षों में न केवल रिकॉर्ड गर्मी और सूखा पड़ा है, बल्कि हाल ही में विनाशकारी भूस्खलन और बाढ़ भी आई है। 2022 में, नई दिल्ली स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र ने देश में चरम मौसम की घटनाओं की एक सूची तैयार की। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 365 दिनों में से 314 दिनों में कम से कम एक चरम मौसम की घटना का अनुभव किया। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र अंतरसरकारी पैनल (IPCC) ने भी एक 2022 के लिए रिपोर्ट प्रकाशित की है जो भारत में जलवायु की स्थिति की चिंताजनक तस्वीर पेश करती है।  रिपोर्ट के अनुसार भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक कमजोरियों के मामले में भारत वैश्विक हॉटस्पॉट में से एक है। असम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार जैसे राज्य बाढ़, सूखे और चक्रवात जैसे जलवायु खतरों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।

इस पृष्ठभूमि में, भारतीय अपने दैनिक जीवन पर जलवायु परिवर्तन के गहरे प्रभाव और कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता के बारे में अत्याधिक जागरूक हो गए हैं।

इसलिए, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संबंधी मुद्दों को अब भारतीयों के लिए नंबर एक चुनौती माना जाता है[2] (56% प्रतिक्रियादाताओं ने इसे अपने देश के लिए शीर्ष तीन चिंताओं में रखा है)। यह एक आश्चर्यजनक अंतर्दृष्टि है क्योंकि — सर्वेक्षण में शामिल 35 देशों में से — भारत जलवायु और पर्यावरण को शीर्ष चुनौती के रूप में रखने वाले केवल पांच देशों में से एक है (चीन, दक्षिण कोरिया, डेनमार्क और स्लोवेनिया अन्य चार हैं)। इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात के साथ ही साथ, यूरोपीय संघ के अन्य सभी देशों के अधिकांश प्रतिक्रियादाताओं का मानना ​​है कि जीवनयापन की बढ़ती लागत के बाद यह उनके देश के सामने दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।

न्यायसंगत क्लाइमेट ट्रांजिशन (जलवायु संक्रमण योजना) में उच्च विश्वास

प्रतिक्रियादाताओं द्वारा आर्थिक असमानताओं को देश के लिए चौथी सबसे बड़ी चुनौती के रूप में स्थान दिए जाने के साथ, अधिकांश भारतीय, जलवायु आपातकाल से निपटने के लिए निष्पक्ष नीतियों की मांग कर रहे हैं। 59% (चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के करीब लेकिन यूरोपीय संघ से 9 अंक नीचे) का कहना है कि कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में संक्रमण तभी हो सकता है जब असमानताओं को भी साथ ही साथ संबोधित किया जाए।

इसके अतिरिक्त, 88% भारतीय प्रतिक्रियादाताओं का कहना है कि वे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और साथ ही साथ सामाजिक असमानताओं को भी संबोधित करने वाली जलवायु परिवर्तन नीतियों को अपनाने की सरकार की क्षमता के प्रति आश्वस्त हैं। यह चीन के समान है लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका (जहां केवल 57% आश्वस्त हैं), जापान (40%) और यूरोपीय संघ के औसत (38%) से कहीं अधिक है।

इसके अलावा, भारतीय, जलवायु नीतियों के नतीजों को लेकर विशेष रूप से आश्वस्त हैं। 65% प्रतिक्रियादाताओं (यह आंकड़ा संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन और यूरोपीय संघ के औसत के करीब है लेकिन जापान से 18 अंक ऊपर है) का मानना ​​है कि जलवायु नीतियों से उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। 63% यह भी सोचते हैं कि ये नीतियां जितनी नौकरियां खत्म करेंगी उसकी तुलना में कहीं अधिक पैदा करेंगी (चीन से 7 अंक नीचे लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका से 6 अंक ऊपर, यूरोपीय संघ के औसत से 12 अंक ऊपर और जापान से 14 अंक ऊपर)।


[1] भारत में 15+ आयु वर्ग के 1,000 लोगों का एक प्रतिनिधि नमूना सर्वेक्षण किया गया, जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को शामिल किया गया।

[2] प्रतिक्रियादाताओं को दस चुनौतियों की सूची में से उन तीन चुनौतियों का चयन करना था जिन्हें वे अपने देश के लिए सबसे बड़ी मानते हैं: जीवन यापन की बढ़ती लागत, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय गिरावट, राजनीतिक अस्थिरता, आय असमानताएं, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच, बड़े पैमाने पर पलायन, साइबर हमले और आतंकवाद।

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न्यायसंगत संक्रमण का समर्थन करने के लिए एकजुटता

यह मानते हुए कि यह संक्रमण आंशिक रूप से आयकर द्वारा वित्तपोषित है, 89% प्रतिक्रियादाता (चीन के बहुत करीब लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका से 22 अंक ऊपर, यूरोपीय संघ से 30 अंक ऊपर और जापान से 31 अंक ऊपर) इस कर को बढ़ाने के लिए तैयार होंगे ताकि हरित संक्रमण की लागत वहन करने में निम्न-आय वाले परिवारों की मदद हो सके।

90% से अधिक भारतीय प्रतिक्रियादाताओं ने कहा कि वे अन्य प्रकार के जलवायु-संबंधी उपायों के भी पक्ष में होंगे।  उदाहरण के लिए, 91% प्रतिक्रियादाताओं ने कहा कि वे विमानन क्षेत्र और अन्य उद्योगों के लिए सब्सिडी और कर छूट को खत्म करने का समर्थन करेंगे जो भारी मात्रा में जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं।

अधिक वैश्विक स्तर पर, विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद करने के लिए मुआवज़े का प्रश्न दुबई में 2023 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP28) में एक केंद्रीय मुद्दा होने की उम्मीद है — और भारत सरकार ने लगातार इस बात को व्यक्त किया है इस प्रश्न पर प्रगति में तेजी लाने की आवश्यकता है।

सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि उच्च आय वाले देशों के लोग इस अपेक्षा के प्रति संवेदनशील हैं। एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी के प्रति जागरूक, यूरोपीय संघ (60%), संयुक्त राज्य अमेरिका (63%) और जापान (72%) के अधिकांश प्रतिक्रियादाता इस बात से सहमत हैं कि उनके देशों को, प्रभावित देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करने के लिए आर्थिक रूप से मुआवजा देना चाहिए।

EIB के उपाध्यक्ष क्रिस पीटर्स की टिप्पणी:

“EIB का नवीनतम जलवायु सर्वेक्षण जलवायु परिवर्तन के बारे में भारतीयों की गहन जागरूकता और इससे निपटने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है। यह उत्साहजनक है कि वे हरित संक्रमण से बहुत सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करते हैं। प्रतिक्रियादाताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि कम-कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में एक सफल संक्रमण आंतरिक रूप से असमानता से निपटने से जुड़ा हुआ है, और उन्हें विश्वास है कि देश ऐसा करने में सफल होगा। यूरोपीय निवेश बैंक की नजर में न्यायसंगत संक्रमण योजना की जरूरत बेहद अहम मसला है। एकजुटता और कार्रवाई योग्य उपाय अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।”

EIB जलवायु सर्वेक्षण के बारे में

यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) ने अब छठा वार्षिक EIB जलवायु सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, जो इस बात का गहन मूल्यांकन है कि लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में कैसा महसूस करते हैं। मार्केट रिसर्च फर्म BVA के साथ साझेदारी में आयोजित, EIB जलवायु सर्वेक्षण के छठे संस्करण का उद्देश्य जलवायु कार्रवाई के संदर्भ में दृष्टिकोणों और अपेक्षाओं पर व्यापक बहस को प्रेरित करना है। 30,000 प्रतिक्रियादाताओं से अधिक ने 7 अगस्त से 4 सितंबर 2023 तक सर्वेक्षण में भाग लिया, अपना मत व्यक्त करने वाले 35 देशों (ईयू 27, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात) में से हर एक के लिए 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों का एक प्रतिनिधि पैनलथा।

यूरोपीय निवेश बैंक के बारे में

यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) अपने सदस्य देशों के स्वामित्व वाली, यूरोपीय संघ की दीर्घकालिक ऋण देने वाली संस्था है। यह बैंक 160 से अधिक देशों में सक्रिय है और यूरोपीय नीति लक्ष्यों में योगदान करने के लिए ठोस निवेश हेतु दीर्घकालिक वित्त उपलब्ध कराता है। 

  • ·         2019 में, EIB ने प्राकृतिक गैस सहित किसी भी अक्षय जीवाश्म ईंधन ऊर्जा परियोजनाओं की एंड फाइनेंसिंग यानी उद्दि‍ष्ट वित्तपोषण हेतु एक अद्यतित ऊर्जा ऋण नीति अपनाई। EIB ऐसा करने वाला पहला बहुपक्षीय विकास बैंक था। 
  • ·         2021 में, EIB अपनी वित्तीय गतिविधियों को पेरिस समझौते के साथ संरेखित करने वाला पहला बहुपक्षीय विकास बैंक भी बन गया। 
  • ·         अपने जलवायु बैंक रोडमैप के माध्यम से, EIB समूह का लक्ष्य महत्वपूर्ण दशक 2021-2030 के दौरान जलवायु कार्रवाई और पर्यावरणीय स्थिरता में €1 ट्रिलियन के निवेश का समर्थन करना है। 
  • ·         इसने 2025 तक जलवायु कार्रवाई और पर्यावरणीय स्थिरता में निवेश को अपने वार्षिक ऋण के 50% से अधिक तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी जताई (पिछले वर्ष यह लक्ष्य 58% के आंकड़े से अधिक हो गया था)।

EIB ग्लोबल EIB समूह की विशेष शाखा है जो यूरोपीय संघ के बाहर संचालन के लिए समर्पित है और ईयू ग्लोबल गेटवे रणनीति<5 का एक प्रमुख भागीदार है }।  इसका लक्ष्य 2027 के अंत तक कम से कम €100 बिलियन निवेश का समर्थन करना है, जो ग्लोबल गेटवे के कुल लक्ष्य का लगभग एक-तिहाई है। टीम यूरोप के भीतर, EIB ग्लोबल साथी विकास वित्त संस्थानों और नागरिक समाज के साथ मजबूत, केंद्रित भागीदारी को बढ़ावा देता है। EIB ग्लोबल हमारे दुनिया भर में कार्यालयों के माध्यम से समूह को स्थानीय समुदायों, कंपनियों और संस्थानों के करीब लाता है।

भारत में EIB ग्लोबल के बारे में:

EIB दुनिया का सबसे बड़ा बहुपक्षीय सार्वजनिक बैंक है। 2022 में, इसने EIB ग्लोबल के माध्यम से यूरोपीय संघ के बाहर निवेश में लगभग €10.8 बिलियन का वित्त पोषण किया, EIB की यह शाखा इसी वर्ष यूरोप से बाहर वाली गतिविधियों के लिए बनाई गई थी।   1993 में भारत में अपने परिचालन की शुरुआत के बाद से, EIB ने देश में 26 परियोजनाओं में सहयोग किया है और परिवहन, ऊर्जा, कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी परियोजनाओं के साथ-साथ भारत के छोटे और मझोले उद्यमों में €5 बिलियन के करीब निवेश किया है।

BVA Xsight के बारे में

BVA Xsight बाज़ार अनुसंधान और परामर्श में अग्रणी है। अपने सेक्टर-विशिष्ट ज्ञान और कौशल के साथ, इसके 400 विशेषज्ञ, व्यक्तियों के जीवन के अनूठे पहलुओं का विश्लेषण करते हैं। वे गहन और कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, निर्णय लेने और संगठनात्मक निष्पादन में वृद्धि करते हैं।

BVA Xsight सार्वजनिक और निजी संगठनों के साथ साझेदारी करते हुए फ्रांस और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित होता है।  अपनी नवप्रवर्तन क्षमताओं के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित, BVA Xsight अपनी टीमों की प्रतिबद्धता और पेशे के प्रति जुनून के लिए जाना जाता है।

1970 में फ्रांस में स्थापित, BVA Xsight एक मिशन-संचालित कंपनी है और अंतरराष्ट्रीय BVA समूह का हिस्सा है।

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